2024-04-30

टनल हादसा: जिदंगी बचाने की जद्दोजहद जारी, 900 mm के स्टील पाइप डालने का काम शुरू, इन्हीं पाइप से बाहर लाए जाएंगे मजदूर

rescue operation of 40 stranded workers inside tunnel auger macheine and hyum pipe reached

रैबार डेस्क: उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में रविवार तड़के हुए हादसे में तकरीबन 40 मजदूर फंसे हैं। हादसे के 52 घंटे बीतने के बादज भी मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब मजदूरों को निकालने के लिए सुरंग में 900 मिमी का पाइप डाला जाएगा। ऑगर बोरिंग मशीन से क्षैतिज दिशा में रास्ता तैयार करके यहां से ये पाइप डाले जाएंगे, जिनके जरिए मजदूरों को एक एक कर बाहर लाया जाएगा।

बता दें कि निर्माणाधीन सुरंग में ऊपर से लगातार गीली मिट्टी गिर रही है जिससे बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं। सुरंग के मुख्य द्वार से बचाव एजेंसियां मजदूरों तक नही पहुंच पा रही हैं। ऐसे में ऑगर मशीन से समानांतर रास्ता तैयार किया जा रहा है जिसमें 2.5 फीट व्यास के बड़े पाइप को डाला जाएगा। 900 मिमी के पाइप घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। इसके साथ ही ऑगर ड्रिलिंग मशीन भी साइट पर पहुंच गई है। ऑगर मशीन के लिए प्लेटफार्म तैयार कर लिया गया है। ऑगर ड्रिलिंग मशीन जल्द ही अपना काम शुरू कर देगी। माना जा रहा है कि इस अभियान में 24 घंटे का समय लग सकता है। एक बार रास्ता बन जाने पर इन्हीं पाइप के जरिए मजदूरों को बार लाया जाएगा।

वैज्ञानिकों की टीम पहुंची

सिलक्यारा के पास सुरंग में हुए भूधंसाव की घटना के बाद शासन ने आठ वैज्ञानिक संस्थाओं के विशेषज्ञों को मौके पर भेजा है। टीम ने सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है। टीम की ओर से विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी।

12 नवंबर को सुरंग में भूस्खलन की घटना के बाद शासन-प्रशासन स्तर पर राहत एवं बचाव के कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक शांतनु सरकार की निर्देशन में आठ वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञों को जांच के लिए भेजा गया है।

इस तकनीकी समिति में वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग, भूगर्भ एवं खनिकर्म इकाई, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।

यह टीम घटनास्थल का विभिन्न आयामों से परीक्षण करेगी। इसके साथ ही मलबे की मिट्टी, पत्थर के नमूने लेगी। इसके साथ ही सुरंग में भूस्खलन जोन के लंबवत ठीक ऊपरी सतह पर पहाड़ की स्थिति का परीक्षण भी करेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed