वन महकमे की महाभारत: शासन ने HoFF राजीव भरतरी को बनाया शक्तिहीन, तबादलों पर रोक लगाई
रैबार डेस्क: उत्तराखंड वन विभाग में अहम और अहंकार की जंग जारी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजीव भरतरी को वनविभाग के मुखिया (HoFF) के पद पर तैनाती दी गई थी, लेकिन आज शासन ने चार्जशीट का हवाला देकर भरतरी की शक्तियों पर अंकुश लगा दिया है। शासन ने भरतरी द्वारा 5 अप्रैल को किए गए तबादलों पर भी रोक लगा दी है। उधर भरतरी से पहले के HoFF विनोद सिंघल, हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुके हैं। in wake of high court judgment and chargesheet govt makes HoFF Rajiv bhartari toothless tiger
गुरुवार को शासनके वन अनुभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक राजीव भरतरी पर जो आरोप लगाए गए हैं, उनसे जुड़ी किसी भी फाइल को वे न तो साइन कर सकेंगे और न कोई फैसला ले सकेंगे। भरतरी सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली और उत्तराखंड हाईकोर्ट, सीईसी, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, एनटीसीए, एनजीटी, सेंट्रल जू ऑथरिटी, जैसी संस्थाओं के साथ न तो कोई पत्राचार करेंगे और न ही कोई प्रस्ताव भेजेंगे। इस तरह के पत्राचार और प्रस्ताव भेजने का अधिकार प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को दिया गया है। इस लिहाज से HoFF केतौर पर राजीव भरतरी ने 5 अप्रैल को जो ट्रांसफर किए थे, उन्हें निरस्त कर दिया गया है।
शासनादेश में ये भी कहा गया है कि भरतरी विभाग के किसी भी कार्मिक का किसी का ट्रांसफर नहीं कर सकेंगे। शासनादेश में हाईकोर्ट के आदेश के 15वें पैराग्राफ का हवाला दिया गया है। इस पैराग्राफ में भरतरी के खिलाफ चार्जशीट का जिक्र किया गया है। चार्जशीट में लिखा है, भरतरी ने हॉफ पद पर रहते हुए कॉर्बेट में अवैध निर्माण, पाखरो में प्रस्तावित टाइगर सफारी के लिए पेड़ों का कटान जैसी गंभीर प्रशासनिक और आपराधिक अनियमितताएं ध्यान में होने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की गई।
उधर विनोद सिंघल ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इससे साफ है कि वनविभाग में अहम और अहंकार का महाभारत जारी रहेगा।