ईमानदारी की मिसाल: 25 लाख भी नहीं डिगा पाए राकेश का ईमान, केदारनाथ में खोई अंगूठी लौटाई
केदारनाथ के युवक ने लौटाई 25 लाख की अंगूठी। राजस्थान के राजन की अंगूठी खोई थी।
राकेश सिंह ने पेश की ईमानदारी की मिसाल। हर तरफ हो रही तारीफ
रुद्रप्रयाग : यह देवभूमि के पावन मूल्यों और संस्कारों का नतीजा है कि 25 लाख रुपए का लालच भी युवक के ईमान को नहीं डिगा पाया। युवक अपने ईमान पर कायम रहा और यात्री की 25 लाख रुपए (25 lac) की खोई हुई अंगूठी को उसे वापस लौटा (returned the ring) दिया। रुद्रप्रयाग के राकेश सिंह रावत (rakesh singh honesty) के इस नेक काम की हर ओर तारीफ हो रही है।
चलिए अब राकेश की सूझबूझ और ईमानदारी की पूरी कहानी बताते हैं। दरअसल 14 सितंबर को अलवर के रहने वाले राजन शर्मा केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए आए थे। मंदिर से वापस लौटते समय उनकी उंगली केदारनाथ परिसर में गुम हो गई। सोनप्रयाग पहुंचने पर उन्हें अहसास हुआ कि अंगूठी कहीं खो गई है। उन्होंने सोनप्रयाग थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई।और वापस अलवर लौट गए।
इस दौरान गौरीकुंड के समीप सीतापुर गांव के राकेश सिंह रावत केदारनाथ गए। वहां मंदिर प्रांगण में उन्हें एक बहुमूल्य अंगूठी मिली। चाहते तो राकेश इस अंगूठी को चुपचाप अपने पास रख सकते थे। लेकिन देवभूमि के पावन संस्कारों और मूल्यों की छांव में पले राकेश के ईमान को यह लालच भी नहीं डिगा पाया। कुछ समय बाद राकेश सिंह रावत सोनप्रयाग थाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि उद्क कुंड के पास एक अंगूठी मिली है। पुलिस ने पता किया तो इस अंगूठी का विवरण राजन शर्मा की अंगूठी से मेल खाता था। थाना अघ्यक्ष ने तत्काल राजन शर्मा से मोबाइल पर संपर्क साधा। राजन शर्मा वापस थाना सोनप्रयाग पहुंचे और 16 सितंबर को अंगूठी प्राप्त कर ली।
इस अंगूठी की कीमत बाजार में 25 लाख रुपए है। राजन को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि उनकी बहुमूल्य अंगठी उन्हें वापस मिल जाएगी। लेकिन राकेश सिंह की ईमानदारी से यह उन्हें मिल गई। इस घटना के बाद राजन देवभूमि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते नहीं थकते। उन्हें मानो राकेश के रूप में बाबा केदार का आशीर्वाद मिला हो। कृतज्ञ राजन ने राकेश को इस नेक काम का पारितोषिक देना चाहा लेकिन राकेश ने इनकार कर दिया। लोगों के समझाने के बाद राकेश ने 25 हजार का ईनाम स्वीकार कर लिया।
बहरहाल इस घटना ने एक बार फिर उत्तराखंड की ईमानदारी की चर्चा को देशभर में फैल दिया। राकेश ने साबित कर दिया कि उत्तराखंडी कितनी भी मुश्किल में क्यों न हो, उसके ईमान को बड़ी से बड़ी चीज भी नही डिगा सकती। राकेश ने साबित कर दिया कि ईमानदारी औऱ नेकी उत्तराखंड का नैसर्गिक गुण है।