आजादी के 74 साल बाद इस सुदूर गांव में पहुंचा मोबाइल नेटवर्क, ग्रामीण बोले थैंक्यू त्रिवेंद्र
रैबार डेस्क: आज के दौर में मोबाइल कनेक्टिविटी की क्या अहमियत है, ये कोई उन गांवों से पूछे जहाँ के लोग आज भी संचार सेवाओं के लिए तरस रहे हैं। उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक का सबसे अंतिम गांव मौंडा (mobile connectivity installed in last village of uttarkashi) में भी आजकल ये खुशी साफ देखी जा सकती है। यहां पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के प्रयासों से मोबाइल कनेक्टिविटी शुरू हुई है
दरअसल यह सीमांत गांव संचार सुविधाओं की कमी से जूझ रहा था। ग्रामीण मोबाइल नेटवर्क की कमी के कारण ऑनलाइन पढ़ाई, कोरोना वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन जैसी कई सुविधाओं से वंचित थे। इसके लिए उन्होंने सरकार से भी गुहार लगाई थी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बाबत केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद से गुजारिश की थी। केंद्रीय मंत्री ने इस गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी स्वीकृत की थी।
अब जाकर मोरी ब्लॉक के आखिरी गांव- मौंडा में जियो के टावर लगे तो कनेक्टिविटी शुरू हुई। आजादी के बाद से अब तक मौंडा व 10 से 15 गांवों में किसी भी प्रकार के नेटवर्क की सुविधा नहीं थी, जिसके चलते गांव वालों को कनेक्टिविटी को लेकर काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब जियो नेटवर्क शुरू होने से यहां की इस समस्या का निदान हो चुका है। सभी ग्रामवासी काफी उत्साहित हैं और उन्होंने केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जी का आभार जताया है।