पहाड़ के बेरोजगारों से छल: मत्स्य निरीक्षक के पद के लिए फिशरीज की अहर्ता से युवाओं में रोष
रैबार डेस्क: उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं के साथ एक बार फिर छल किया गया है। इस बार पहाड़ के बेरोजगारों को छलने का कारण बनी है उत्तराखंड अधीनस्थ मत्स्य सेवा नियमावली। इस नियमावली के तहत अब मत्स्य निरीक्षक के पद के लिए केवल वे ही युवा (new guidelines of bsc fisheries barred several youth to apply fish inspector posts) आवेदन कर सकेंगे जिन्होंने मत्स्य विज्ञान में बीएससी की हो। पहले इस पद के लिए केवल बीएससी वाले भी आवेदन कर सकते थे।
इस नियमावली का बेरोजगार युवाओं ने विरोध जताया है। युवाओं का कहना है कि फिशरीज में बीएससी करने के लिए कोई साधन नहीं हैं। केवल पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में ही फिशरीज साइंस में बीएससी का पाठ्यक्रम है। पहाड़ के विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में इस तरह का पाठ्यक्रम नहीं है। इस तरह अगर मत्स्य निरीक्षक के पद निकलते हैं तो बड़ी तादात में बीएससी करने वाले पहाड़ के युवा आवेदन करने से वंचित रह जाएंगे।
एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि अगर पड़ भरने के लिए राज्य से पर्याप्त उम्मीदवार नहीं मिलते तो क्या बाहरी प्रदेशों के युवाओं को मौका दिया जाएगा? या फिर आउटसोर्सिंग का खेल चलेगा?
उत्तराखंड के बेरोजगारों ने सरकार पर युवाओं का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कहा कि उत्तराखंड शासन की अधिसूचना संख्या 878 दि. 22 नवंबर 2021 भर्ती सेवा नियमावली में वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान जैसे विषयों को दरकिनार कर दिया गया है, और मात्स्यकी विज्ञान में स्नातक उपाधि धारकों को ही अनिवार्य कर दिया गया है। इससे पहाड़ी क्षेत्रों के बीएससी स्नातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। युवाओं ने सरकार से मांग की है कि तत्काल इस अहर्ता को समाप्त कर दिया जाय, जिससे प्रदेश के नौजवान रोजगार से वंचित न रहें।