2024-04-26

PM मोदी ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की, टिकैत ने रखी नई शर्त सियासी लाभ या रणनीतिक मात?

FARM LAW REPEALED

रैबार डेस्क : गुरुनानक जंयती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनरत किसानो को बड़ा तोहफा दिया। पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। हालांकि इस घोषमा के बाद भी किसान अपना आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि आघामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए मोदी (PM Modi announces farm law repealed, tikait continues agitation) सरकार ने सोच समझकर ये फैसला लिया। हालांकि किसानों के रुख के बाद पीएम मोदी के ऐलान पर भी अब सवाल उठ रहे हैं।

शुक्रवार को ठीक 9 बजे जैसे ही पीएम मोदी देश को संबोधित करने आए, किसी को भी आभास नहीं था कि वो डेढ़ साल पहले लाए गए कृषि कानूनों के बारे में बात करेंगे। अलबत्ता पीएम ने घोषणा कर दी कि किसानों के हित के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। पीएम ने कहा कि, आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।’

सियासी लाभ या रणनीतिक मात

प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद तीन किसान नेताओं को इसकी सूचना दी। इनमें एक चौधरी हरपाल सिंह भी थे। किसानों नेताओँ की इस पह पहली प्रतिक्रिया आई कि उत्तर प्रदेश चुनाव देखकर सरकार किसानों से डर गई। तो क्या वाकई सरकार किसानो से डर गई थी।

पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन सुस्त पड़ता दिख रहा था। लखीमपुर खीरी घटना और बाद में पंजाब-हरियाणा के किसान संगठनों में बढ़ी राजनीति नया माहौल बना रही थी। किसान भले ही सरकार से नाराज थे, लेकिन किसान संगठनों में आपसी मतभेद होने का फायदा सरकार को मिल सकता था। हालांकि पश्चिम बंगाल चुनावों में मोदी की भऱपूर मेहनत के बाद भी बीजेपी सत्ता से काफी दूर रह गई। बीजेपी के कई नेता भी किसानों का समर्थन करने लगे। ऐसे में पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर औऱ उत्तर प्रदेश के चुनावों में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता था। खासतौर से यूपी की राजनीति में किसान आंदोलन निर्णायक फैक्टर बनना तय था। ऐसे में केंद्र सरकार को शायद यही उचित लगा हो कि इस बला को टाल ही दें। ये भी माना जा रहा है कि सरकार फिजूल में टिकैत को किसानों का हीरो नहीं बनने देना चाहती, लिहाजा किसान आंदोलन के नाम पर चल रह राजनीति को ही खत्म किया जाए।

टिकैत का अड़ियलपन जारी

कृषि कानून वापसी की घोषणा के बाद भी भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अड़िग हैं। टिकैत का कहना है कि  कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद भी आंदोलन चलता रहेगा। टिकैत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार, एमएसपी के साथ- साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।’

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