2024-04-30

ऑपरेशन रणदोरी बेहक: आमने सामने की भीषण जंग,15 गोलियां खाकर भी लड़ता रहा अमित, 4 पैरा SF ने दिखाया अद्भुत शौर्य

OPERATION RANDOIRI BEHAK THRILLING ENCOUNTER STORY OF 4 PARA SF COMMANDOS

रैबार डेस्क:4-5 अप्रैल 2020 की तारीख। कश्मीर के केरन सेक्टर में 4-पैरा स्पेशल फोर्स के जाबांज पैराट्रूपर ने अदम्य साहस औऱ शौर्य का परिचय देते हुए 5 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। यूं तो आतंकियों के सफाया करने में हमारी सेना के जवान कभी पीछे नहीं रहते, लेकिन केरन सेक्टर की ये मुठभेड़ पिछले कुछ वर्षों की सबसे घातक मुठभेड़ मानी जाती है। आमने सामने की इस जंग में हमने 4-पैरा स्पेशल फोर्स, के 5 कमांडो को खोया। अद्भुत पराक्रम और युद्ध कौशल के लिए 4 PARA-SF की इस टुकड़ी के नेतृत्वकर्ता सूबेरादर संजीव कुमार को कीर्ति चक्र जबकि हवलदार देवेंद्र सिंह, पैराट्रूपर अमित, (Operation Randori Behak PTR Amit Kumar took 15 bullets in his chest)  बालकृष्ण, पैराट्रूपर अमित कुमार, पैराट्रूपर छत्रपाल सिंह को मरणोपरांत  सेना मेडल से नवाजा गया था। हवलदार देवेंद्र व पैराट्रूपर अमित कुमार सैन्यधाम उत्तराखंड के रहने वाले थे, जिन्होंने देशपर मर मिटने की वीरभूमि की परंपरा को जीवित रखा। सूबेदार संजीव, व पैराट्रूपर बालकृष्ण हिमाचल प्रदेश जबकि पैराट्रूपर छत्रपाल राजस्थान के रहने वाले थे। आगे विस्तार से जानिए कैसे हुआ था आमने सामने का ये भीषण युद्ध।

ऐसे हुआ था सबसे भीषण युद्ध

पूरा देश लॉकडाउन के कारण घरों में कैद था। पाकिस्तानी आतंकी इसी बात का फायदा उठाकर बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे। खराब मौसम और बर्फबारी का फायदा लेते हुए 1 अप्रैल 2020 को सीमा पार से कुछ आतंकी हमारी सीमा में घुसने को तैयार थे। सेना को ड्रोन इमेज से इस बात का पता चल गया था। अब इन आतंकियों को खत्म करने की योजना बननी थी। अगले दिन दोपहर तक सेना की सर्च पार्टियां मिशन में जुट गई। इस दौरान छिपे हुए आतंकियों ने सेना पर फायरिंग शुरू कर दी। सेना के जबरपदस्त रिस्पॉन्स से डरकर आतंकी पीछे हटे औऱ वहां से दूसरी जगह की ओर भाग गए। लुकाछिपी के बाद आतंकियों को ठूंढने का सिलसिला 4 अप्रैल तक जारी रहा।

चूंकि आतंकी एलओसी के बाहद करीब थे, लिहाजा कोई ढिलाई नहीं बरती गई। सेना की सबसे खास फोर्स पैरा स्पेशल फोर्स को मिशन पर लगाया गया। सूबेदार संजीव कुमार के नेतृत्व में 4-पैरा स्पेशल फोर्स की टीम को एलओसी पर डिप्लॉय किया गया। चूंकि मिशन का फोकस एरिया जम्मू कश्मीर के रणदोरी, गुगुलदरा, तीनबेहक और जमगुंड था, इसलिए इस मिशन को ऑपरेशन रणदोरी बेहक नाम दिया गया। चूंकि भारी बर्फबारी के चलते सेना का वहा पहुंचना मुश्किल था, इसलिए पैरा कमांडो को ध्रुव हेलिकॉप्टर की मदद से एयरड्रॉप किया गया। पैरा स्पेशल की टीम ने ड्रोन औऱ अन्य उपकरणों की मदद से बर्फ के नीचे छिपे 5 से 6 आतंकियों की लोकेशन का पता लगा लिया था।

Operation Randori Behak: Some Men Were Born to Be LEGENDS! Some Men Were  Born LEADERS! | Financial Samachar
भारी बर्फ में आतंकियों को मारने ऐसे निकले कमांडो

15 गोली खाकर भी लड़ता रहा पैराट्रूपर अमित

शाम होते होते 2 लोकेशन से फायरिंग हुई। कमांडो के भीषण जवाब के बाद फायरिंग एक लोकेशन तक सिमट गई। सूबेदार संजीव के नेतृत्व में टीम दो हिस्सों में बंट गई। सूबेदार संजीव, पैराट्रीपर अमित औऱ पैराट्रूपर क्षेत्रपाल आतंकियों के फुटप्रिंट को ट्रेस करते हुए उनके करीब पहुंचने लगे। इसी दौरान ताजा बर्फबारी के कारण जवानों के वजन से बर्फ का एक बड़ा हिस्सा फिसलने लगा। तीनों जवान फिसलते हुए नाले में जा गिरे। नियति का खेल देखिए। जहां जवान फिसलकर गिरे, वहीं पर दूसरी तरफ आतंकी घात लगाकर बैठे थे। जवानों के घातक हथियार भी बर्फ में फिसलकर गिर गए थे।

Image

आतंकी गोलियां बरसाने लगे। अब आमने सामने की जंग के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। पैराट्रूपर अमित को 15 गोलियां लगी। सूबेदार संजीव औऱ पैराट्रूपर छत्रपाल को भी गोलियां लगी। इसके बावजूद तीनों जांबाज आतंकियों से हथियार छीनकर उनका मुकाबला करते रहे। 15 गोलियां खाने के बाद भी अमित ने जांबाजी से लड़ते हुए आमने सामने की लड़ाई में एक आंतकी को मौत के घाट उतार दिया। सूबेदार संजीव और पैराट्रूपर छत्रपाल ने भी आतंकियों का मुकाबला करते हुए उन्हें मौत की नींद सुला दिया। इस दौरान टीम के दो अन्य सदस्य हवलदार देवेंद्र और पैराट्रूपर बालकृष्ण भी अपने साथियों को बचाने वहा पहुंचे। लेकिन साथियों को बचाने के चक्कर में आतंकियों की गोली के शिकार हो गए। लेकिन गोली लगने के बाद भी हवलदार देवेंद्र अफेन साथियों को कवर देने की कोशिश करते रहे। इस दौरान एक आतंकी को ढेर कर दिया। लेकिन गोली लगने के कारण दोनों मातृभूमि पर कुर्बान हो गए। भीषण गोलीबारी को ट्रेस करते हुए 8-जाट रेजिमेंट की टुकड़ी भी वहां पहुंच गई थी। लेकिन तब तक 4पैरा-एसएफ के 4 जांबाज शहीद हो चुके थे। पांचवें जवान ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इससे पहले पांचवां आतंकी वहां से भाग पाता, जाट रेजिमेंट की टुकड़ी ने उसे ढेर कर दिया।

उत्तरी कश्मीर में पोस्टेड एक आर्मी अफसर के मुताबिक हाल के वर्षों में आमने सामने की इतनी भीषण लड़ाई कभी नहीं हुई थी। दुर्भाग्य हमारे साथ था, इसलिए हमारे जवान बर्फ में फिसलकर घात लगाकर बैठे आतंकियों के सामने जा गिरे। उनके हथियार बर्फ में गिर गए, फिर भी उन्होंने आतंकियों के मंसूबों को नाकाम किया। अगर ऐसा नहीं होता तो हमारे जवान बिना किसी कैजुअल्टी के आतंकियों का सफाया कर देते।

अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देने वाली 4-पैरा स्पेशल फोर्स की इस टुकड़ी को पूरा देश नमन करता है। सूबेदार संजीव कुमार को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से नवाजा गया। जबकि उनकी टीम के सदस्य रहे हवलदार देवेंद्र सिंह, पैराट्रूपर अमित कुमार, पैराट्रूपर छत्रपाल व पैराट्रूपर बालकृष्ण को सेना मेडल से नवाजा गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed