उत्तराखंडियों के लिए विलेन की तरह थे मुलायम सिंह यादव, सपा संरक्षक का गुरुग्राम में निधन
रैबार डेस्क : समाजवादी पार्टी के संरक्षण मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। मुलायम का निधन उत्तराखंड में काफी चर्चाओं में है। राजनीतिक गलियारों से सीएम धामी समेत अन्य मंत्रियों, विपक्षी नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। वहीं सोशल मीडिया पर लोग मुलायम सिंह यादव को उत्तराखंड विरोधी कह रहे हैं।
अच्छा पहलू हो या बुरा, उत्तराखंड के साथ मुलायम का खास रिश्ता रहा। मुलायम सिंह यादव की दोनों बहुएं, डिंपल यादव और अपर्णा बिष्ट यादव पहाड़ से हैं। लेकिन 1994 की वो काली रात उत्तराखंडी कभी नहीं भूल पाते जिसके कारण मुलायम सिंह यादव उत्तराखंडियों के लिए विलेन बन गए।
2 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर जब उत्तराखंडियों से बर्बरता की सारी हदें पार हुई तब सीएम मुलायम ही थे। उनके ही आदेश पर पीएसी के जवानों ने भोले भाले उत्तराखंडियों का दमन किया, गोलियां चलवाई, मां बहनों की अस्मत लूटी। इस घटना से पूरा उत्तराखंड सदमे में था। औऱ तभी से मुलायम को उत्तराखंड में, खास तौर से पहाड़ में एक विलेन के तौर पर देखा जाता है।
माना जाता है कि मुलायम कभी नहीं चाहते थे कि यूपी का विभाजन हो, इसलिए पहाड़ में अलग राज्य के लिए क्रांति शुरू हो गई। साल 1994 में पहले खटीमा गोलीकांड फिर मसूरी गोलीकांड और फिर रामपुर तिराहा कांड ने मुलायम को खलनायक के तौर पर स्थापित कर दिया। घटना के बाद भी अघर मुलायम सिंह मुख्यमंत्री रहते इस गलती को सुधारते और दोषी जवानों के खिलाफ एक्शन लेते तो शायद आंदोलनकारियों के जख्म थोड़ा भर जाते। लेकिन मुलायम ने ऐसा नहीं किया।