2024-04-29

2022 में किसकी बनेगी सरकार, सीएम के लिए पहली पसंद कौन, इस Opinion Poll में आया सामने

रैबार डेस्क:  उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है। बड़े सियासी दलों के प्रमुख नेताओं के दौरों के बाद सरगर्मियां बढ़ गई हैं। ऐसे में हमारे सहयोगी डिजीटल चैनल देवभूमि डायलॉग ने उत्तराखंड के लोगों की रायशुमारी (Opinion poll for assembly election 2022) ली कि उनके दिल में आखिर क्या है, आगामी चुनाव को लेकर। तो चलिए आपको बताते हैं उत्तराखंड के लोगों की नजर में सीएम की पहली पसंद कौन है? पीएम मोदी को लोग कितना पसंद करते हैं? उत्तराखंड की जनता किन मुद्दों पर वोट देगी।

मोदी का मुकाबला नहीं, हरदा भी आगे

ओपिनियन पोल का सबसे पहला सवाल पीएम मोदी की लोकप्रियता को लेकर किया गया। करीब 73 फीसदी लोगों का मानन है कि पीएम मोदी अभी भी लोकप्रिय हैं। जबकि 21 फीसद लोगों ने कहा कि मोदी की लोकप्रिय नहीं हैं। 6 फीसदी लोगों ने कहा कि इस मामले पर कुछ कह नही सकते। इसी तरह हमन सवाल किया कि मुख्यमंत्री के लिए आपकी पसंद कौन है। सबसे ज्यादा 37 फीसदी लोगों ने कहा कि  हरीश रावत सीएम के लिए पहली पसंद हैं। इसी तरह मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी कम समय में अच्छी पकड़ बनाई है। सीएम के लिए धामी 29%  लोगों की पसंद हैं । राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को भी 19 फीसदी लोग सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। आम आदमीं पार्टी के नेता कर्नल अजय कोठियाल को 8 फीसदी, प्रीतम सिंह को 2 फीसदी, काशी सिंह ऐरी को 1 फीसदी और अन्य नेताओं को 4 फीसदी लोग सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।

भाजपा कांग्रेस में कांटे की टक्कर

ओपिनियन पोल में जनता से सवाल पूछा कि आप किस पार्टी की सरकार देखना चाहते हैं। इस सवाल के जवाब में 39 फीसदी लोगों ने कहा कि कांग्रेस की सरकार देखना चाहते हैं, जबकि 37 फीसदी लीगों ने कहा कि बीजेपी की सरकार देखना चाहते हैं। एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के वाबजूद 37 फीसदी लोगों का बीजेपी पर विश्वास कायम है। पीएम मोदी को चुनावी नीति में माहिर माना जाता है, एक दो रैलियों से सारे समीकरण बदल सकते हैं। लिहाजा दोनों पार्टियों में कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी को भी 10 फीसदी लोग सरकार बनाते देखना चाहते हैं, यूकेडी को 7 फीसदी और अन्य को 7 फीसदी लोग सरकार में देखना चाहते हैं। इन अन्य लोगों में एक बड़ी तादात ऐसे लोगों की है जो नेताओं के वादों से नाराज हैं। उनका साफ कहना है कि हम इस बार वोट देंगे ही नहीं, हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

विधायकों की नाकामी से डबल इंजन का असर कम

सवाल पूछा कि क्या आप अपने विधायक के कामकाज से संतुष्ट हैं? इस पर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। करीब 68 फीसदी लोगों ने कहा कि वो विधायकों के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। इसे सत्ता विरोधी रुझानो के तौर पर भी देखा जा सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि सत्ताधारी भाजपा बड़ी तादात में सिटिंग विधायकों के टिकट काट सकती है। केवल 24 फीसद लोगों ने ही माना कि वे विधायकों के काम से संतुष्ट हैं। 8 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर अपनी राय नहीं दी। शायद यही वजह है कि विधायकों की नाकामी डबल इंजन सरकार के फायदे को लोगो तक नही पहुंचा पाई। क्योंकि हमने अगला सवाल पूछा था कि  क्या लोगों को डबल इंजन सरकार का फायदा दिखा है? इस पर  56 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं कोई फायदा नहीं दिखा, जबकि 35 फीसदी लोगों का मानना था कि डबल इंजन का फायदा मिला है। 9 फीसदी लोग राय देने से बचते रहे।

भू कानून, बेरोजगारी, पलायन, गैरसैंण पर राय

पहाड़ का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? इस पर सबसे ज्यादा 42 फीसद लोगों ने कहा कि बेरोजगारी सबसे बडा मुद्दा है। शिक्षा और स्वास्थ्य 31% लोगों के लिए बड़ा मुद्दा है। 20 फीसदी लोगों ने कहा कि महंगाई बड़ा मुद्दा है। जबकि 6 फीसद लोगों का मानना है कि जंगली जानवरों से खेती को नुकसान होना भी पहाड़ के लिए बड़ा मुद्दा है।

इसी तरह सर्वे में भाग लेने वाले 68% लोगों का मानना है कि प्रदेश में सख्त भू कानून बनना चाहिए, जबकि 21% लोगों ने कहा कि भू कानून नहीं बनना चाहिए। इसी तरह 81 फीसदी लोगों ने माना कि पहाड़ो से पलायन नहीं रुका। जबकि 11 फीसद लोगों ने कहा कि पलायन रोकने में कामयाबी मिली है।  

पहाड़ की भावनाओं के सबसे बड़े मुद्दे गैरसैंण पर 56 फीसदी लोगों ने कहा कि गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाया जाना चाहिए। 31 फीसदी लोगों ने कहा कि गैरसैंण स्थाई राजधानी नहीं होनी चाहिए। 13 फीसदी लोगों ने इस पर कोई राय नहीं दी।

ऐसे हुई रायशुमारी

सर्वे के लिए टीम उत्तराखंड के तकरीबन सभी विधानसभा क्षेत्रों में घूमी है। खासतौर से पहाड़ी जिलों में कोनो कोने तक पहुंची है। इस दौरान हमारी टीम ने  2172 लोगों से व्यक्तिगत तौर पर बातचीत की औऱ उनकी राय जानी। इसी तरह ऑनलाइन पोल भी जारी किया। सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म के जरिए, ईमेल के जरिए, वट्सएप्प के जरिए भी लोगों से रायशुमारी की। इस तरह ऑनलाइन पोल के भी 13 हजार से ज्यादा सैंपल आए। कुछ सैंपल को सही तरीके से नहीं भरे गए थे, जिनको रद्द भी करना पड़ा, लेकिन ऑनफील्ड और ऑनलाइन माध्यम से करीब 15 हजार सैंपल के आधार पर रायशुमारी की और अपना निष्कर्ष निकाला। आंकड़ों की सत्यता परखने के लिए बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और राजनीतिक समझ रखने वाले लोगों से भी बातचीत की औऱ फाइनल निष्कर्ष निकाला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed