2024-05-04

सख्त नकल विरोधी अध्यादेश को CM धामी का अनुमोदन, उम्रकैद की सजा का प्रावधान, यहां लागू रहेगी धारा 144

Cm nods anti copying ordinance youth protest continues

रैबार डेस्क: भर्ती घोटालों के खिलाफ युवाओं के प्रदर्शन से धामी सरकार ठोस फैसला लेने को मजबूर हुई है। प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अनुमोदन मिल गया है। इस अध्यादेश में पेपर लीक या नकल के दोषियों के खिलाफ 3 साल से आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा प्रदर्शन में शांतिभंग की आशंका के मद्देनजर परेड ग्राउंड के आसपास धारा 144 लागू कर दी गई है। cm dhami approves anti copying ordinance after youth protest, section 144 near parade ground

गांधी पार्क में युवाओं के प्रदर्शन, पथराव और लाठीचार्ज की घटना के बाद माहौल बिगड़ सकता है। बेरोजगार संघ ने 10 फरवरी को बंद का ऐलान किया है। पुलिस को प्रदर्शन और बंद में भारी भीड़ जुटने की आशंका है, इसलिए गांधी पार्क,परेड ग्राउंड के 300 मीटर के दायरे में 10 फरवरी तक के लिए धारा 144 लगा दी गई है। इस प्रदर्शन के असर को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सख्त नकल विरोधी कानून लाने के अध्यादेश को मंजूरी दी है।

अध्यादेश के अनुसार यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।

अध्यादेश में परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की का भी प्रावधान है। इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा।

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