कोरोना के हालात जानने सीएम खुद उतरे मैदान में, अफसरों को दी कड़ी नसीहत
देहरादून: उत्तराखंड में प्रवासियों के आने के साथ अचानक बढ़े कोरोना के मामलों ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। हालत बिगड़ते देख अब खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मोर्चा संभाल लिया है। सीएम अब जगह जगह दौरे कर स्थिति की समीक्षा करने निकल रहे हैं।
सीएम के एक्टिव होने से सुस्त बैठे अफसरों पर भी नकेल कसनी शुरू हुई है। सीएम त्रिवेंद्र अब तक तीन जनपदों में कोराना से लड़ाई के लिए की गई तैयारियों का मौके पर जायजा ले चुके हैं। और अफसरों को सभी व्यवस्थायें चुस्त दुरुस्त करने के निर्देश दे चुके हैं। सीएम के दौरों से शांत बैठे अफसर भी हरकत में आने लगे हैं।
राज्य में प्रवासियों के आने के साथ कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सीएम त्रिवेंद्र पहले ही आशंका जता चुके थे कि प्रवासियों की वापसी के साथ कोरोना के मामलों में अचानक वृद्धि हो सकती है। बावजूद इसके अफसरशाही ने सीएम के आदेशों के बावजूद पर्याप्त पुख्ता इंतजाम नहीं किए। खासतौर पर संस्थागत क्वारेंटाइन करने में शासन फिसड्डी रहा। पिछले 3, 4 दिनों में मामले अचानक से बढ़े तो अफसरों के हाथ पांव फूल गए। हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री ने खुद मोर्चा संभाला। रविवार को श्रीनगर में पौड़ी जिले की तथा, सोमवार को नैनीताल व ऊधमसिंहनगर जिले की व्यवस्थाओं की समीक्षा की। सीएम ने सख्त निर्देश दिए कि क्वारेंटाइन करने में कोई लापरवाही बरदाश्त नहीं होगी। जो लोग क्वारेंटाइन नियमों का उल्लंघन करें, उन पर भी सख्त कार्रवाई हो। कोरोना से जंग में ग्राम प्रधानों की अहम भूमिका देखते हुए सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिला प्रशासन प्रधानों का भरपूर सहयोग करे, उन पर आर्थिक बोझ न बढ़ने पाए।
सीएम की नसीहतों के बाद राज्य में क्वारेंटाइन व्यवस्था में सुधार भी देखा जा रहा है। मगर अभी भी सभी संदिग्धों की पर्याप्त टेस्टिंग चुनौती बना हुआ है। सीएम मैदान में उतरे तो मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग के हाल ही में पदभार संभालने वाले सचिव अमित नेगी भी हालातों को जानने साथ चल पड़े।
बहरहाल प्रदेश में कोरोना किस हद तक नियंत्रित हो सकेगा ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन सीएम के खुद मैदान में उतरने से ब्यूरोक्रेसी में जो हलचल दिख रही है उससे निश्चित तौर पर स्थिति सुधरेगी। मुख्यमंत्री की पहल से सभी जिलों के प्रभारी मंत्रियों को भी कड़ा संदेश गया है जो अब तक केवल कागजी आदेशों से कोरोना से लड़ रहे थे।