मत्स्य विभाग का गजब का खेल, अधिकारियों की फौज बढ़ाई, कार्मिकों की नहीं, विभाग पर पड़ेगा वित्तीय बोझ
रैबार डेस्क: उत्तराखंड मत्स्य विभाग द्वारा कार्मिकों के ढांचे में बदलाव सवालों के घेरे में है। विभाग द्वारा अधिकारियों की फौज तो बढ़ा दी गई लेकिन निचले कार्मिकों के पद नही बढ़ाए गए हैं। इससे जहां एक ओर विभाग पर वित्तीय बोझ बढ़ना तय है, वहीं विभाग में नए रोजगार की आस लगाए बैठे युवाओं को भी निराशा हाथ लगी है। fisheries department raise top lavel posts but not lower posts
हाल ही में मत्स्य विभाग ने ढांचे में फेरबदल किया था। जिसके तहत सहायक निदेशक के पदों को 7 से करीब 4 गुना बढ़ाकर 25 कर दिया गया है। यानी हर जिले में औसतन 2 सहायक निदेशक का पैमाना तय किया गया है। हैरानी की बात ये है कि फील्ड ऑफिसर और निचले कार्मिकों के पद बढ़ाने के बजाए उन्हे खत्म किया जा रहा है। धरातल पर अच्छा काम करने के लिए फिशरमैन के पद पहले ही खत्म कर दिए गए थे। अब फिशरमैन 58 पदों को संविदा से भरा जा रहा है।
यही नहीं ब्लॉक स्तर पर कामकाज देखने के लिए कोई भी पद सृजित नहीं किया गया है। पहले विभाग में मत्स्य विकास अधिकारी का पद होता था जिसे खत्म कर दिया गया है। ये पद निचले कार्मिकों से ग्राउंड रिपोर्ट लेने के साथ धरातल पर योजनाओं के क्रियान्वयन में भी अहम भूमिका निभाते थे। विभाग को कम से कम मत्स्य निरीक्षकों के पद बढ़ाने चाहिए थे, लेकिन उकी तादात पहले भी 62 थी, अब भी 62 है। इन 62 पदों में से भी अधिकतर खाली पड़े हैं। इसी तरह ज्येष्ठ मत्स्य निरीक्षक के 28 पदों में भी बढ़ोतरी नहीं की गई है।
जानकारों की मानें तो बड़े अफसरों को फायदा पहुंचाने के लिए केवल सहायक निदेशक के पदों को चार गुना तक बढ़ाया गया है। विभाग के इस फैसले से छोटे से विभाग पर खर्चे का अनावश्यक बोझ पड़ना तय है।