उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत, स्वामी को झटका, हाईकोर्ट ने देवस्थानम बोर्ड को ठहराया संवैधानिक
नैनीताल: चारधाम देवस्थानम बोर्ड एक्ट को लेकर उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत मिली है। नैनीताल हाईकोर्ट ने एक्ट को रद्द करने संबंधी सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में फैसला देते हुए चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्यसभा सांसद व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी को झटका देते हुए देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को संवैधानिक करार दिया है।
राज्य सरकार ने चार धामों के साथ 51 मंदिरों के बेहतर प्रबंधन औऱ रखरखाव के लिए चार धाम देवस्थानम बोर्ड अधिनियम पारित किया था, जिससे इन सभी मंदिरों को एक छत्र के नीचे रेगुलेट किया जा सके। लेकिन एक्ट के विरोध में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। याचिका में स्वामी ने कहा था कि सरकार द्वारा लाया गया यह एक्ट असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 32 का उल्लंघन करते हुए जनभावनाओं के विरुद्ध है। जबकि सरकार की ओर से कहा गया था कि यह अधिनियम संवैधानिक है और सरकार को इसका अधिकार है।
इस मामले में रुलक संस्था ने भी सरकार के अधिनियम का समर्थन करते हुए स्वयं पक्षकार का प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुनाते हैं अधिनियम को संवैधानिक करार दिया है। कोर्ट के फैसले से त्रिवेंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। चारधाम देवस्थामन बोर्ड त्रिवेंद्र सरकार का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, सरकार ने इसी साल से बोर्ड के अधीन चारधाम यात्रा संचालन की व्यवस्था की है, लेकिन कोरोना का कारण चारधाम यात्रा सुचारू नहीं हो पाई है।
कोर्ट के फैसले पर सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि, माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं। देवस्थानम बोर्ड का गठन दूरगामी विजन के साथ किया गया है। चारधाम ऑल वेदर रोड़ और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर बहुत तेजी से काम चल रहा है। इसके बनने के बाद चारधाम यात्रा में एक करोड़ श्रद्धालुओं के आने की पूरी सम्भावना है। जाहिर है कि हमारी तैयारियां भी इतने ही उच्च स्तर पर होनी चाहिए। भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया गया है। चारधाम के प्रबंधन में सुधार और चारधाम के साथ ही उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढाने के लिए देवस्थानम बोर्ड कार्य करेगा।
उधर इस फैसले के बाद सुब्रमण्य स्वामी का कहना है कि अभी विस्तृत रूप में फैसला पढ़ेंगे और उसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
क्या है चारधाम देवस्थानम एक्ट
चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम का गठन किया गया है।
बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। संस्कृति मामलों के मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी पदेन सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री के हिंदू न होने की स्थिति में उप मुख्यंत्री या सरकार का कोई वरिष्ठ हिंदू मंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होगा।
इसके अलावा टिहरी रियासत के राजपरिवार के एक सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे।
चारधाम देवस्थानम अधिनियम चारधाम और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है। मकसद ये है कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें। साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करे।
चारधाम प्रबंधन बोर्ड में स्थानीय पंडे, पुजारियों व हक हकूक धारियों का पूरा ख्याल रखा गया है। उनकी आजीविका किसी तरह से प्रभावित न हो, इसका भी ध्यान रखा गया है।