उत्तराखंड में बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त, केदारनाथ पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त, नदियों का जलस्तर बढ़ा
रैबार डेस्क: उत्तराखंड में शुक्रवार से जारी मूसलाधार बारिश (heavy rain Uttarakhand) के कारण पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। केदारनाथ जाने वाला (kedarnath marg) पैदल मार्ग भी कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया है। राज्य की प्रमुख नदियों में जलस्तर खतरे के निशान पर आ गया है। नदियों में (river water level rise) उफान से तटीय इलाकों में रहने वाले लेगों के लिए खतरापैदा हो गया है।
शुक्रवाक की तरह शनिवार को भी सभी जिलों में मूसलाधार बारिश का सिलसिला जारी है। जगह जगह भूस्खलन से प्रमुख हाइवे बंद हो गए हैं। पहाड़ दरकने से कई रास्ते बंद हैं। केदारनाथ धाम कोजाने वाले पैदल मार्ग भी भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। रास्ते में कई जगह चट्टानों का मलबा आ गया है। सुरक्षा के दृष्टिगत प्रशासन द्वारा उक्त मार्ग पर आवाजाही रोक दी गयी है।
प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक नदियों का उफान खौफ पैदा कर रहा है। सभी सहायक नदियों का जलस्तर बढञने से गंगा भी उफानपर है। ऋषिकेश में गंगा घाट डूब गए हैं। गंगा नदी एक बार फिर भगवान शिव की मूर्ति को छूकर बह रही है। बता दें कि ऐसा दृश्य 2013 में आई केदारनाथ आपदा में देखा गया था। हरिद्वार में भी गंगा उफान पर है।
पहाड़ में भी पिंडर, मंदाकिनी, अलकनंदा, काली नदी, गोरी नदी, शारदा, रामगंगा, कोसी सानदी उफान पर हैं। श्रीनगर में अलंकनंदा का पानी धारी देवी मंदिर तक आ गया है। अलंकनंदा के पानी से कमलेश्वर मंदिर की सीढ़ियां जलमग्न हो गई हैं। नारायणबगड़ में पिंडर नदी के रौद्र रूप से नदी किनारे बसे गावों के लिए खतरा पैदा हो गया है।
कर्णप्रयाग में भी पिंडर औऱ अलंकनंदा का जलस्तर उफान पर है। कुमाऊं में काली नदी शांत होने का नाम नही ले रही। काली नदी व शारदा नदी में जलस्तर बढञने से नेपाल को जोड़ने वाले झूला पुल परखतरा बना हुआ है। स्थिति देखते हुए अलर्ट जारी किया गया। नदियों के आस-पास मुनादी की जा रही है। टिहरी, पौड़ी और ऋषिकेश प्रशासन लगातार मुनादी करवा रहा है। लोगों को तटीय इलाकों से दूर रहने की सलाह दी गई है।