2024-04-28

भाई की कलाई पर सजेगी रिंगाल के रेशे से बनी राखी, पिथौरागढ़ की महिलाओं का शानदार प्रयास

पिथौरागढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का असर अब देश के त्योहारों पर भी दिखने लगा है। वोकल फ़ॉर लोकल के संकल्प को सिद्धि तक ले जाने के लिए उत्तराखण्ड की मातृशक्ति ने दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है। इस बार भाई बहन के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन पर पारंपरिक स्थानीय उत्पाद रिंगाल के रेशे से रिश्तों की डोर मजबूत होगी।

दरअसल पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र के कई गांवों में उत्तरापथ सेवा संस्था ने स्थानीय संसाधनों के उपयोग से अभिनव प्रयोग कर, हस्तशिल्प के कई उत्पाद तैयार किये हैं। इन्हीं उत्पादों में रिंगाल के रेशे से बनी खूबसूरत राखियां भी हैं। उत्तरापथ संस्था के तहत स्थानीय महिलाओं ने रिंगाल से जो राखियां बनाई हैं, वो अब बाजार में उपलब्ध होने लगी हैं।उत्तराखंड में रिंगाल से राखी बनाने का काम पहली बार किया जा रहा है।

मुनस्यारी के जैंती गांव में 25 महिलाएं राखी बनाने के काम में जुटी हुई हैं। संस्था रिंगाल से दस से अधिक प्रकार की फैंसी सामग्री तैयार कर रही है। इससे पर्यावरण के लिए खतरा बन चुके प्लास्टिक का प्रयोग कम होने के साथ रिंगाल उद्योग को फिर से बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सबसे खास बात ये है कि भारत के त्योहारों में बाजार चीन के सामान से पट जाते थे,लेकिन इस बार सीमा पर चीन से तनाव के चलते चीनी सामान के बहिष्कार की भावना प्रबल हुई है। ऐसे में रिंगाल से निर्मित राखियों और अन्य फैंसी उत्पादों की खासी डिमांड बढ़ रही है। इससे स्थानीय उत्पादों के प्रचार प्रसार और पांरपरिक हस्तशिल्प के उत्थान की नई उम्मीद जगी है। उत्तरापथ संस्था को फिलहाल 20 हजार राखियों का ऑर्डर मिला है, इससे स्थानीय महिलाओं का उत्साह दोगुना हुआ है।

उत्तरापथ सेवा संस्था ने जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान के सहयोग से स्थानीय महिलाओं को रिंगाल के उपयोग के लिए जागरुक किया और मुनस्यारी में महिलाओं को रिंगाल से राखियां बनाने का प्रशिक्षण दिया। शुरुआत में दो हजार राखियां बाजार में उतारी गई, जिनकी खपत देखते हुए 20 हजार अन्य राखियों की डिमांड मिल गई।लोकल उत्पादों से तैयार एक राखी की कीमत 25 रुपये तय की गई है।

स्थानीय महिलाएं राखियों के अलावा रिंगाल की माला, गले में पहनने वाला लॉकेट, झूमर, बास्केट, डस्टबिन आदि सामान भी तैयार किया जा रहा है। वर्तमान में 50 से अधिक लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रिंगाल के उत्पादों को बनाने व उनकी मार्केटिंग से जुड़कर रोजगार पा रहे हैं।

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