2024-04-29

समाज की बेड़ियां तोड़कर इतिहास रचती पहाड़ की बेटी, हल चलाकर स्वरोजगार की प्रेरणा बनी प्रिया

टिहरी:  अथक परिश्रम से धरती का सीना चीरकर  उपजाऊ बनाने के दृश्य आपने हर जगह दखे होंगे। उत्तराखंड में भी हल चलाना खेती के कामकाज से जुड़े लोगों की दिनचर्या का आम हिस्सा है। लेकिन आज बात करेंगे उत्तराखंड की ऐसी बेटी की जो समाज की तमाम रुढ़िवादी सोच को पीछे छोड़कर कामयाबी की नई इबारत लिख रही है। पहाड़ की यह बेटी तमाम बाधाओं को पार कर वो काम कर रही हैं, जिस पर पुरुषों का एकाधिकार माना जात था।

टिहरी गढ़वाल के जौनपुर ब्लॉक के गैंड गांव की दसवीं कक्षा की छात्रा प्रिया पंवार आज सबके लिए प्रेरणा बनी हैं। प्रिया अपने खेतों में होकर हल चला रही हैं। अपने खेतों को आबाद करने के साथ समाज को बहुत बडी सीख भी दे रही हैं। आमतौर पर पहाड़ में महिलाएं हल चलान का काम नहीं करती, लेकिन महज 10वीं में पढ़ने वाली प्रिया पंवार इस काम जिस संजीदगी के साथ कर रही हैं, उसने महिला सशक्तीकरण का नया अहसास जगाया है। आज पहाड़ में बहुत से युवा खेती का काम करने से कतरा रहे हैं, ऐसे लोगों के लिए प्रिया एक मिसाल बन चुकी हैं। पढ़ाई का काम निपटान के बाद प्रिया अपने सिर पर हल लाकर खेतों में आती है, बैलों को खुद ही जोतती है और जमीन का सीना चीरकर उसे उपजाऊ बनाने के पुण्य काम में लगी हुई है।

 प्रिया कहती हैं, हमें अपनी मिट्टी को छोड़कर और कहीं नहीं जाना चाहिए। युवाओं को यह समझना चाहिए कि गांव में रहकर वह शहर से अच्छी जिंदगी जी सकते हैंयह सही समय़ है जब देवभूमि के नौजवानों को वापस अपनी भूमि पर लौट आना चाहिए और गांव में स्वरोजगार शुरू करना चाहिए

शुरुआत में प्रिया को हल लगाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोगों को एक लड़ीक का हल लगाना नागवार गुजरा, लेकिन प्रिया ने हौसला नही छोड़ा। प्रिया ने ठान लिया कि लड़कियां,किसी भी क्षेत्र में लड़को से पीछे नहीं हैं, इसलिए हल लगाने में कोई बुराई नहीं है। अपने खेतों को, अपनी जमीन को आबाद करने में कई बुराई नहीं है।

प्रिया के पिता सूर्य सिंह पंवार का उनको इस कार्य मे पूरा समर्थन मिला। प्रिया ने अपने दादा से हल लगाना सीखा है, बाद में उनके पिता ने प्रिया को हल चलान का सही तरीका बताया। प्रिया के पिता एक शिक्षक हैं और आज अपनी बेटी के दृढ़ निश्चट पर बेहद खुश हैं। वास्तव में प्रिया ने जो मिसाल कायम की है उससे हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। छोटी उम्र में अपनी माटी के लिए जो प्यार प्रिया ने दिखाया है, उससे प्रेरित होकर हमार नौजवान भी स्वरोज

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