2024-04-27

अपने वीर सपूत को असमय खोने पर गमगीन उत्तराखंड, राज्य में 3 दिन का राजकीय शोक

UTTARAKHAND MOURNS ON DEATH OF SON CDS BIPIN RAWAT

रैबार डेस्क:  हेलिकॉप्टर हादसे में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की असामयिक मृत्यु पर पूरे देश में शोक की लहर है। उत्तराखंड भी अपने वीर सपूत को खोने पर गमगीन है। (UTTARAKHAND MOURNS ON DEATH OF SON CDS BIPIN RAWAT)मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। जनरल रावत के पैतृक गांव सैंण और आसपास के गांवों में भी शोक की लहर है। जनरल रावत, उनकी पत्नी और 11 जवानों के पार्थिव शरीर मद्रास रेजिमेंट सेंटर लाए गए हैं। जहां तमिलनाडु के सीएम समेत अन्य लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।  

बुधवार को सीडीएस जनरल बिपिन रावत का तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में निधन हो गया। हादसे में जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत उके स्टाफ के 9 लोग औऱ क्रू मेंबर समेत कुल 13 लोगों का निधन हुआ है। जनरल रावत के गृह राज्य उत्तराखंड में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभिनव कुमार ने बताया कि जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बल के अन्य अधिकारियों का निधन होने पर उत्तराखंड में तीन दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया गया है। इसके तहत तीन दिन राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। तीन दिन शासकीय मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे।   

उत्तराखंड के तमाम राजनीतिक दलों, नेताओं और औऱ अलग अलग क्षेत्रों के लोगों के साथ आमजन में सीडीएस रावत के निधन पर शोक का माहौल है। सोशल मीडिया तकरीबन सभी अकाउंट और पेज पर जनरल रावत को श्रद्धांजलि दी जा रही है।  दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत व अन्य अधिकारियों की आकस्मिक मृत्यु पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भावुक संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि एक सैनिक पुत्र होने के नाते वह समझ सकते हैं कि जनरल रावत और अन्य अफसरों के परिवारों के सदस्यों पर क्या बीत रही होगी।

राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (सेनि) ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी धर्मपत्नी मधुलिका रावत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

पैतृक गांव में शोक की लहर

सीडीएस बिपिन रावत का पैतृक गांव उत्तराखंड पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक का सैंण गांव है। उनकी पत्नी उत्तरकाशी जिले से हैं। देहरादून में जनरल बिपिन रावत का घर भी बन रहा था। जनरल बिपिन रावत थलसेना के प्रमुख रहे। रिटायरमेंट से एक दिन पहले बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया था। 

सैंण का माहौल अपने सपूत जनरल बिपिन रावत के निधन से गमगीन हो गया है। कांडाखाल कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित दिवंगत जनरल रावत के इस छोटे से पैतृक गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी अपने परिवार के साथ रहते हैं। रावत ने बताया कि वह किसी काम से कोटद्वार बाजार गए हुए थे लेकिन जैसे ही उन्हें घटना की सूचना मिली, वह घर की ओर लौट आये। उन्होंने बताया कि उनके घर पर आस पास के गांवों के कुछ लोग सांत्वना देने पहुंचे हैं और सबकी आंखें आसुंओं में डूबी हैं।

बड़े सपने वाले जनरल

जनरल रावत सेना के आधुनिकीकरण करने की सोच रखते थे। वे तकनीक का इस्तेमाल करके तीनों सेनाओँ को मजबूत करना चाहते थे। तीनों सेनाओँ के बेहतर कोर्डिनेशन के साथ आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए थिएट्रिकल कमांड का गठन उनका सपना था, वे इस दिशा में आगे बढ़ रहे थे। अपने गृह राज्य उत्तराखंड के लिए भी जनरल रावत चिंतित रहते थे। सीमांत क्षेत्रों में लोगों की बसावट को मजबूत करना, उन्हें बॉर्डर सिक्योरिटी के लिए मजबूती देने की सोच रखते थे। पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए भी जनरल रावत बडी सोच रखते थे।

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