2024-04-29

Uttarkashi Tunnel: कामयाबी चंद मीटर दूर, मैनुअल ड्रिलिंग ने पकड़ी रफ्तार, अब तक 52 मीटर ड्रिलिंग पूरी

manual drilling sucess hopes earlier rescue in silkyara tunnel

रैबार डेस्क: उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की जद्दोजहज रंग लाती दिख रही है। सोमवार शाम को जैसे ही मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई, लगातार सकारात्मक खबरें मिल रही हैं। सेना के जवानों और रैट होल माइनिंग के एक्सपर्ट ने टनल के भीतर अब तक 52 मीटर का रास्ता तैयार कर दिया है। वर्टिकल ड्रिलिंग से भी 40 मीटर खुदाई हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के 17वें दिन बड़ी खुशखबरी यहां से मिल सकती है।

दरअसल 48 मीटर तक रास्ता तैयार करने के बाद ऑगर मशीन फंस गई थी, बुरी तरह टूट गई थी। इसके बाद सेना के जवानों और रैट माइनिंग एक्सपर्ट की मदद से टनल के भीतर बचे हुए हिस्से में मैनुअल तरीके से मलबा हटाने का काम सुरू हुआ। सोमवार शाम से ही मैनुअल ड्रलिंग ने अच्छी रफ्तार पकड़ी है। ड्रिलिंग करने के बाद बचे हुए हिस्से में ऑगर मशीन की मदद से 800 एमएम का पाइप भी डाला जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने बताया कि अब तक 52 मीटर का रास्ता तैयार हो चुका है। यानि मैनुअल तरीके से 4 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी है। सीएम धामी ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही हमें ब्रेकथ्रू मिल जाएगा। अभी एक और पाइप डाला जाना बाकी है। इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने टनल के प्रवेश द्वार पर स्थित बाबा बौखनाग के मंदिर में पूजा अर्चना कर सभी श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने की प्रार्थना की।

रैट होल माइनिंग से ऐसे हो रही है मैनुअल ड्रिलिंग

रैट होल माइनिंग यानी चूहे की तरह कुरेदकर रास्ता बनाना। जब स्थितियांबहुत मुश्किल हों तो सेना के एक्सपर्ट और माइनिंग एक्सपर्ट इस तरीके से रास्ता तैयार करते हैं। इसमें माइनर सुरंग के भीतर हाथों से या लेजर कटर की मदद से मलबा हटाते हैं और आगे का रास्ता तैयार करते हैं। ये रास्ता इतना होता है कि इससे एक व्यक्ति ही एक समय में रेंगकर प्रवेश कर पाता है या बाहर निकल सकता है। आमतौर पर खदानों में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल होता है। सिलक्यारा टनल के उस हिस्से में जहां मलबा फंसा है, और वहां ऑगर मशीन ने भी काम करना बंद कर दिया था, रैट होल माइनर्स की मदद से रास्ता बनाया जा रहा है। ये काम बेहद मुश्किल होता है। अंडरग्राउंड टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स के मुताबिक ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में 1 मीटर खुदाई का मतलब है कि आपने 1 किलोमीटर खुदाई करने में सफलता हासिल कर ली है।

जैसे-जैसे टीम मजदूरों के नजदीक पहुंच रही है वैसे-वैसे सुरंग के बाहर हलचल भी बढ़ गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह भी सिलक्यारा पहुंचे हैं। वह मैन्युअल ड्रिलिंग का जायजा लेने के लिए सुरंग के अंदर गए हैं। अच्छी बात ये है कि जैसे जैसे खुदाई आगे बढ़ रही है, मेटल के टुकड़े मिलना कम हो गए हैं। इसलिए जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की उम्मीद है।

वर्टिकल ड्रिलिंग 40 मीटर हुई

आज सुबह तक सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग 40 मीटर तक हो गई है। वर्टिकल ड्रिलिंग अभी 46 मीटर और शेष है। कोई अड़चन नहीं आई तो रेस्क्यू ऑपरेशन आज पूरा हो सकता है।

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