चमोली आपदा: रैणी गांव के अस्थाई हेलिपैड पर मिले लापता मजदूर, पूरी तरह कट गया था संपर्क
चमोली: ग्लेशियर टूटने से चमोली के तपोवन के आसपास मचे कुदरत के कहर (Chamoli Disaster) के बाद एक राहत देने वाली खबर है। हादसे में लापता बताए जा रहे कुछ मजदूर (stranded labor found) रैणी गांव के अस्थाई हेलिपैड पर फंसे हुए मिले हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक इन श्रमिकों के परिवार वालों को तीन दिन तक इनका कोई सुराग नहीं मिला था, जिसके बाद इन्हें भी लापता मान लिया गया था। ये श्रमिक अस्थाई हैलीपैड पर फंसे हुए हैं जो आपदा के बाद पूरी तरह से अलग थलग पड़ गया है।
ये श्रमिक उत्तरप्रदेश के मेरठ और अमरोहा जिले के विभिन्न हिस्सों से आए थे, आपदा के बाद ये अपने घरों में लौटने का इंतजार कर रहे थे। 7 फरवरी की भयावह त्रासदी के बाद तपोवन के आसपास के क्षेत्रों में तबाही मची थी। सड़कों, पुलों,मोबाइल कनेक्टिविटी को नुकसान पहुंचा था। पावर प्रोजेक्ट को नुकसान हुआ था। इस दौरान इस क्षेत्र में काम करने वाले कुछ श्रमिक रैणी गांव के दूसरी तरफ फंस गए थे। लेकिन इनका किसी से भी कोई संपर्क नही हुआ तो इन्हें लापता घोषित कर दिया गया। श्रमिकों के अनुसार, उनके परिवारों को लगा कि वे लोग बाढ़ में बह गए हैं। क्योंकि वे किसी से बात नहीं कर पा रहे थे। तीन बाद ये श्रमिक जब रैणी गांव पहुंचे तो इसकी सूचना आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन को दी।
यहां फंसे एक श्रमिक सनी दत्त ने बताया कि हमे बाढ़ का पता तब चला, जब हम अन्य लोगों के साथ एक दूरदराज के गांव में एक कंपनी के मोबाइल नेटवर्क को लगाने के लिए काम कर रहे थे। हमें नीचे आने में लगभग तीन दिन लग गए। जहां पर हमे मोबाइल नेटवर्क मिला तो हमने अपने परिवार वालों से संपर्क किया।सनी दत्त के साथ काम करने वाले एक अन्य श्रमिक कामिंदर ने बताया कि वह उन पांच लोगों में शामिल था, जिन्हें लापता मान लिया गया था। क्योंकि मोबाइल का कोई नेटवर्क न होने के कारण वे तीन दिनों तक अपने परिवार वालों से बात नहीं कर पा रहे थे। कमिंदर ने कहा कि जब हमने अपने परिवार वालों से बात की तो उन्होंने बताया कि स्थानीय पुलिस ने उन्हें बताया कि वे लोग लापता हैं। लेकिन मेरे फोन के बाद, मेरा पूरा परिवार खुश है। वे चाहते हैं कि मैं जल्द से जल्द वापस आऊं। मुझे उम्मीद है कि आज मैं अमरोहा के लिए निकल जाऊंगा।
जिंदगी बचाने की जद्दोजहद जारी
उधर तपोवन में टनल में फंसे करीब 35 मजदूरों को निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। टनल के बगल में सुरंग खोदकर रास्ता बनाया जा रहा है। प्रभावित क्षेत्र में आईटीबीपी, सेना, नौसेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन दिन-रात काम कर रहे हैं। जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी को श्रमिकों के लिए भोजन और परिवहन की व्यवस्था करने का जिम्मा दिया गया है। हादसे के बाद अभी तक कुल 204 लोग लापता हैं। इनमें से 34 के शव बरामद किए गए हैं, जबकि तपोवन सुरंग के अंदर 25 से 35 लोग फंसे हुए है।