राज्य के पहले सोलर फार्मिंग प्लांट का CM ने किया लोकार्पण, कहा, कैंपा के तहत 25 हजार को मिलेगा रोजगार
चिन्यालीसौड़ में राज्य का पहला 200KW सोलर प्लांट, सालाना 3 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन
कैंपा से मिलेगा 25 हजार को रोजगार,मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से 10 हजार रोजगार
उत्तरकाशी: वैकल्पिक ऊर्जा (Renewable Energy) के क्षेत्र में उत्तराखंड (Uttarakhand) ने क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। उत्तराखंड सोलर फार्मिंग कॉन्सेप्ट वाला देश का संभवत पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने चिन्यालीसौड़ (Chinyalisaur, Uttarkashi) के इन्द्रा टिपरी में 200 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट (Solar Plant) का लोकापर्ण किया। उत्तरकाशी के युवा उद्यमी आमोद पंवार (Amod Panwar) ने अपने गांव इंद्रा टिपरी में 200 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट को स्थापित किया है। इस प्लांट से सालाना औसतन 3 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। यह बिजली करीब 4 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से अगले 25 सालों तक यूपीसीएल (UPCL) खरीदेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति ने जो संसाधन हमें उपलब्ध कराए हैं उनका सही तरीके से उपयोग करके उत्तराखंड को आत्मिनिर्भर (Atmanirbhar Uttarakhand) बनाया जा सकता है।
सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि बेरोजगारों के लिए उत्तराखंड सरकार सबसे पहले सोलर फार्मिंग का कॉन्सेप्ट लेकर आई है, जिसमें युवाओं ने काफी रुचि दिखाई है। प्रदेश में वर्तमान में 206 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें से अभी तक 52 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं। सीएम ने कहा कि स्वरोजगार में यह कॉन्सेप्ट महत्वपूर्ण साबित होगा। ऐसे में घर-गांव लौट प्रवासी इस पर काम करें। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से ऐसे प्रयासों को और अधिक बल मिलेगा। मुख्यमंत्री ने आमोद को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए आमोद से प्रेरणा लेनी चाहिए।
कैंपा के तहत 25 हजार रोजगार
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार रोजगार और स्वरोजगार (Self Employment) पर लगातार काम कर रही है। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना (Mukhyamantri Saur Sawarojgar Yojana) के तहत 10 हजार लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा जल्द ही कैम्पा योजना (CAMPA) के तहत 25 हजार लोगों को घर-गांव में रोजगार दिए जायेगा। इसके लिए कार्ययोजना बना दी है। इसमें वनों की आग बुझाने, पेयजल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने आदि कार्य शामिल हैं। इसमें किसी भी तरह की कोई शैक्षिक योग्यता नहीं रखी गई है
पहाड़ी उत्पादों से पहचान भी, रोजगार भी
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने ककड़ी, पत्यूड, गहत व तिल के पकोड़े, झगोरें की खीर आदि पहाड़ी उत्पादों का निरीक्षण किया तथा इनके स्वाद को भी चखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी व्यंजनों के उत्पाद हमारी पौराणिक विरासत की पहचान है l जिसे आज भी हम लोग संजोए हुए हैं। पहाड़ी उत्पादकों के माध्यम से आजीविका को संवर्धन देना बेहद जरूरी है l यह हमारी पहचान है। इसमें में भी स्वरोजगार की संभावना है। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि जल्द ही हिमालयन मीट की ब्रांडिंग करने वाले हैं। हिमालय प्रजाति (बकरे का मीट) का यह मीट कॉपरेटिव सोसायटी की मदद से मार्किट में उपलब्ध होगा।
40 प्रतिशत पैसा स्वरोजगार पर हो खर्च
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को जिला योजना धनराशि से 40 प्रतिशत धनराशि पशुपालन, कृषि, मत्स्य, मौन पालन आदि स्वरोजगार योजनाओं में खर्च करने के निर्देश दिए गए हैं l ताकि स्वरोजगार की दिशा में अधिक से अधिक उद्यमी अपनी आजीविका को सुदृढ़ कर सकें l उन्होंने कहा कि दस हजार मोटर बाइक टैक्सी की स्वीकृति दी गई है जिस पर 2 साल तक किसी भी तरह का ब्याज नहीं देना पड़ेगा राज्य सरकार स्वयं निर्वहन करेगी l
मुख्यमंत्री ने सुदूरवर्ती क्षेत्रों में विकास योजनाओं पर जोर देते हुए कहा कि सरकार निरंतर स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क,दूरसंचार बिजली, पानी,आदि को धरातलीय स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है l अधिकांश क्षेत्रों को सड़क मार्ग से जोड़ा गया है व जोड़ा जा रहा है, विभिन्न विकास परख योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग लाभान्वित हो इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है l
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