किसानों को ₹3 लाख तक ब्याजमुक्त कर्ज की CM ने की शुरुआत, 25 हजार किसानों को मिला ऋण
रैबार डेस्क: किसान आंदोलन के बीच उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने आज किसानों के हित में एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने प्रदेश के किसानों (Farmers) को तीन लाख रुपए तक तथा किसान समूहों को 5 लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण (Interest Free Loan) वितरण शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने देहरादून में योजना का शुभारंभ किया। इस दौरान पहले दिन 25 बजार किसानों को खेती के साथ मत्स्य पालन, जड़ी बूटी, मुर्गीपालन, मौनपालन आदि के लिए ऋण दिया गया।
पं. दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत प्रदेशभर में 100 स्थानों पर एक साथ ऋण वितरण किया गया। इसका मुख्य कार्यक्रम देहरादून में हुआ।
कार्यक्रम में प्रदेश की 200 बहुउद्देशीय कृषि ऋण सहकारी समितियों को कंप्यूटराइजेशन के लिए हार्डवेयर भी वितरित किए गए। सहकारी समितियों के कंप्यूटराइजेशन पर लगभग 40 करोड़ की राशि व्यय की गई। इसमें 25 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार के माध्यम से दी गई। मार्च 2021 तक प्रदेश की सभी सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है। जहां प्रदेश की सभी बहुउद्देशीय कृषि ऋण सहकारी समितियां कंप्यूटरीकृत होंगी।
किसानों से किया हर वादा पूरा : सीएम
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि किसानों से जो वायदे किए हैं, उन्हें सरकार पूरा कर रही है। प्रदेश के किसानों ने भी सरकार की अपेक्षाओं को पूरा करने का काम किया है। 2017 में सरकार ने किसानों को दो प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपये का ऋण दिया था। सरकार ने यह बात भी कही थी कि योजना के अच्छे परिणाम सामने आने पर सरकार ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला लेगी।किसानों ने अच्छा काम किया। अब सरकार किसानों को तीन लाख रुपये और समूह को पांच लाख का ब्याज मुक्त ऋण दे रही है।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में 20 सालों में पहली बार गन्ने का भुगतान सत्र शुरू होने से पहले किया गया। सरकार का प्रयास है कि धान, गेहूं, गन्ना समेत अन्य फसलों का किसानों को समय पर भुगतान हो। इसके लिए उन्हें इंतजार न करना पड़े। सीएम ने कहा कि केंद्र द्वारा तीन कृषि कानून किसानों के व्यापक हित में हैं। उन्होंने प्रदेश के किसानों का आभार जताते हुए कहा कि उत्तराखंड के किसानों ने एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है, जो किसी राजनाति के दबाव में नहीं आए और कृषि कानूनों का फायदा समझ सके।