देश के सबसे लंबे झूला पुल पर गुजरे 15-15 टन के भारी वाहन, सफल टेस्टिंग के बाद डोबरा-चांठी पुल जल्द खुलने को तैयार
सबसे लंबे झूला पुल डोबरा चांठी पुल पर वाहनों की आवाजाही का ट्रायल सफल
14 लोडेड ट्रकों को एक साथ गुजारा गया, जल्द मिल सकती है आवागमन की अनुमति
टिहरी: बहुप्रतीक्षित डोबरा चांठी पुल (Dobra Chanthi Bridge), जनता के लिए खुलने की ओर एक और कदम आगे बढ़ गया है। 14 साल के लंबे इंतजार के बाद टिहरी जिले को अनोखा तोहफा आने वाला है। दरअसल रविवार को डोबरा चांठी पुल पर वाहनों की आवाजाही का लोडिंग ट्रायल ( Loading Trial) सफल रहा। जिसके बाद जल्द ही इस पुल पर आवागमन शुरू होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
डोबरा चांठी पुल पर कोरिया की कंपनी के निर्देशन में भारी भरकम वाहनों की आवाजाही के लिए पिछले दिनों से ट्रायल चल रहा था। इसी क्रम में रविवार को मुख्य झूला पुल पर कोरियाई कंसलटेंट, कार्यदायी संस्था, लोनिवि के अधिकारियों की मौजूदगी में साढ़े 15-15 टन वजन के 14 ट्रकों को दौड़ाया गया। साथ ही 30-30 मीटर की दूरी पर लोडेड वाहनों को खड़ा रखा गया। इस ट्रायल का मकसद डोबरा-चांठी पुल की क्षमता का अंदाजा लगाना था। इंजीनियर्स ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारी वाहनों के गुजरने से इस पुल पर कितना दबाव पड़ेगा। और पुल एक साथ एक समय कितने वाहनों का बोझ झेल सकता है।
प्रोजेक्ट मैनेजर एसएस मखलोगा के मुताबिक यह ट्रायल बेहद सफल रहा। मखलोगा ने बताया कि भारत में इस तरह का यह पहला भारी वाहन झूला पुल है। ट्रायल के सफल रहने के बाद अब जल्द ही पुल पर वाहनों की आवाजाही को हरी झंडी मिल सकती है।
डोबरा चांटी पुल देश का सबसे लंबा सिंगल लेन मोटरेबल झूला पुल है। इसकी लबाई 440 मीटर है। पुल का निर्माण 14 साल से लटका हुआ था। 2006 मे इस पुल का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमे देरी होती गई। साल 2010 में डिजाइन फेल होने के बाद इसका निर्माण कार्य बंद करना पड़ा। तब तक पुल के ऊपर 1.35 करोड़ रुपए की लागत लग चुकी थी। 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने सत्ता में आन पर इस पुल को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा। और पुल निर्माण के लिए एकमुस्त धनराशि जारी की। डोबरा चांठी पुल बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर, थौलधार और उत्तरकाशी के गाजणा पट्टी की करीब 3 लाख की आबादी के लिए लाइफ लाइन साबित होगा।
आवाजाही के लिए मंजूरी मिलते ही पुल पर वाहनों का संचालन शुरू हो जाएगा। जिससे प्रतापनगर वासियों को जिला मुख्यालय आने जाने के लिए 100 से किलोमीटर की कम दूरी तय करनी पड़ेगी। मेडिकल इमरजेंसी में भी यह पुल वरदान साबित होगा।